નમસ્તે મિત્રો , આ શૈક્ષણિક બ્લોગ માં શિક્ષણ ને લગતી માહિતી મળી રહે તે માટે નાનો પ્રયાસ કરવા માં આવ્યો છે .. કોઈ પ્રકાર ના અપેક્ષા વગર લોકો ને ઉપયોગી માહિતી પૂરી પાડવા નો હેતુ છે. મને જણાવતા ખુશી થાય છે કે આ બ્લોગ દરેક શિક્ષણ સાથે સંકળાયેલા લોકો ને એક પ્રેરણા પૂરી પાડશે ... @@સુવિચાર @@ માણસ જ્યાં સુધી બીન સ્પર્ધાત્મક વાતાવરણમાં હોય છે ત્યાં સુધી આળસુ,ઢીલો અને શુષ્ક રહે છે પણ જેવું વાતાવરણ બદલાઈને સ્પર્ધાત્મક થાય છે તેવો તે તરવરતો અને જીવંત બની જાય છે. પડકાર માણસને જીવંત બનાવે છે માટે પડકારથી ડરો નહીં, તેનો સામનો કરો. .

સોમવાર, 30 ડિસેમ્બર, 2013

कैलेण्डर का इतिहास ....... !

दुनिया का लगभग प्रत्येक कैलेण्डर सर्दी के बाद बसंत ऋतू से ही प्रारम्भ होता है , यहाँ तक की ईस्वी सन बाला कैलेण्डर ( जो आजकल प्रचलन में है ) वो भी मार्च से प्रारम्भ होना था . इस कलेंडर को बनाने में कोई नयी खगोलीये गणना करने के बजाये सीधे से भारतीय कैलेण्डर ( विक्रम संवत ) में से ही उठा लिया गया था . आइये जाने क्या है इस कैलेण्डर का इतिहास -


दुनिया में सबसे पहले तारो, ग्रहों, नक्षत्रो आदि को समझने का सफल प्रयास भारत में ही हुआ था, तारो , ग्रहों , नक्षत्रो , चाँद , सूरज ,...... आदि की गति को समझने के बाद भारत के महान खगोल शास्त्रीयो ने भारतीय कलेंडर ( विक्रम संवत ) तैयार किया , इसके महत्त्व को उस समय सारी दुनिया ने समझा .
भारतीय महीनों के नाम जिस महीने की पूर्णिया जिस नक्षत्र में पड़ती है उसी के नाम पर पड़ा। जैसे इस महीने की पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में हैं इस लिए इसे चैत्र महीनें का नाम हुआ। श्री मद्भागवत के द्वादश स्कन्ध के द्वितीय अध्याय के अनुसार जिस समय सप्तर्षि मघा नक्षत्र पर ये उसी समय से कलियुग का प्रारम्भ हुआ, महाभारत और भागवत के इस खगोलिय गणना को आधार मान कर विश्वविख्यात डॉ. वेली ने यह निष्कर्ष दिया है कि कलयुग का प्रारम्भ 3102 बी.सी. की रात दो बजकर 20 मिनट 30 सेकण्ड पर हुआ था। डॉ. बेली महोदय, स्वयं आश्चर्य चकित है कि अत्यंत प्रागैतिहासिक काल में भी भारतीय ऋणियों ने इतनी सूक्ष्तम् और सटिक गणना कैसे कर ली। क्रान्ती वृन्त पर 12 हो महीने की सीमायें तय करने के लिए आकाश में 30-30 अंश के 12 भाग किये गये और नाम भी तारा मण्डलों के आकृतियों के आधार पर रखे गये। जो मेष, वृष, मिथून इत्यादित 12 राशियां बनी।
चूंकि सूर्य क्रान्ति मण्डल के ठी केन्द्र में नहीं हैं, अत: कोणों के निकट धरती सूर्य की प्रदक्षिणा 28 दिन में कर लेती है और जब अधिक भाग वाले पक्ष में 32 दिन लगता है। प्रति तीन वर्ष में एक मास अधिक मास कहलाता है संयोग से यह अधिक मास अगले महीने ही प्रारम्भ हो रहा है।
भारतीय काल गणना इतनी वैज्ञानिक व्यवस्था है कि सदियों-सदियों तक एक पल का भी अन्तर नहीं पड़ता जब कि पश्चिमी काल गणना में वर्ष के 365.2422 दिन को 30 और 31 के हिसाब से 12 महीनों में विभक्त करते है। इस प्रकार प्रतयेक चार वर्ष में फरवरी महीनें को लीपइयर घोषित कर देते है फिर भी। नौ मिनट 11 सेकण्ड का समय बच जाता है तो प्रत्येक चार सौ वर्षो में भी एक दिन बढ़ाना पड़ता है तब भी पूर्णाकन नहीं हो पाता है। अभी 10 साल पहले ही पेरिस के अन्तरराष्ट्रीय परमाणु घड़ी को एक सेकण्ड स्लो कर दिया गया फिर भी 22 सेकण्ड का समय अधिक चल रहा है। यह पेरिस की वही प्रयोगशाला है जहां की सी जी एस सिस्टम से संसार भर के सारे मानक तय किये जाते हैं। रोमन कैलेण्डर में तो पहले 10 ही महीने होते थे। किंगनुमापाजुलियस ने 355 दिनों का ही वर्ष माना था। जिसे में जुलियस सीजर ने 365 दिन घोषित कर दिया और उसी के नाम पर एक महीना जुलाई बनाया गया उसके 1 ) सौ साल बाद किंग अगस्ट्स के नाम पर एक और महीना अगस्ट भी बढ़ाया गया चूंकि ये दोनो राजा थे इस लिए इनके नाम वाले महीनों के दिन 31 ही रखे गये। आज के इस वैज्ञानिक युग में भी यह कितनी हास्यास्पद बात है कि लगातार दो महीने के दिन समान है जबकि अन्य महीनों में ऐसा नहीं है। यदि नहीं जिसे हम अंग्रेजी कैलेण्डर का नौवा महीना सितम्बर कहते है, दसवा महीना अक्टूबर कहते है, इग्यारहवा महीना नवम्बर और बारहवा महीना दिसम्बर कहते है। इनके शब्दों के अर्थ भी लैटिन भाषा में 7,8,9 और 10 होते है। भाषा विज्ञानियों के अनुसार भारतीय काल गणना पूरे विश्व में व्याप्त थी और सचमूच सितम्बर का अर्थ सप्ताम्बर था, आकाश का सातवा भाग, उसी प्रकार अक्टूबर अष्टाम्बर, नवम्बर तो नवमअम्बर और दिसम्बर दशाम्बर है।
सन् 1608 में एक संवैधानिक परिवर्तन द्वारा एक जनवरी को नव वर्ष घोषित किया गया। जेनदअवेस्ता के अनुसार धरती की आयु 12 हजार वर्ष है। जबकि बाइविल केवल 2) हजार वर्ष पुराना मानता है। चीनी कैलेण्डर 1 ) करोड़ वर्ष पुराना मानता है। जबकि खताईमत के अनुसार इस धरती की आयु 8 करोड़ 88 लाख 40 हजार तीन सौ 11 वर्षो की है। चालडियन कैलेण्डर धरती को दो करोड़ 15 लाख वर्ष पुराना मानता है। फीनीसयन इसे मात्र 30 हजार वर्ष की बताते है। सीसरो के अनुसार यह 4 लाख 80 हजार वर्ष पुरानी है। सूर्य सिध्दान्त और सिध्दान्त शिरोमाणि आदि ग्रन्थों में चैत्रशुक्ल प्रतिपदा रविवार का दिन ही सृष्टि का प्रथम दिन माना गया है।
संस्कृत के होरा शब्द से ही, अंग्रेजी का आवर (Hour) शब्द बना है। इस प्रकार यह सिद्ध हो रहा है कि वर्ष प्रतिपदा ही नव वर्ष का प्रथम दिन है। एक जनवरी को नव वर्ष मनाने वाले दोहरी भूल के शिकार होते है क्योंकि भारत में जब 31 दिसम्बर की रात को 12 बजता है तो ब्रीटेन में सायं काल होता है, जो कि नव वर्ष की पहली सुबह हो ही नहीं सकता। और जब उनका एक जनवरी का सूर्योदय होता है, तो यहां के Happy New Year वालों का नशा उतर चुका रहता है। सन सनाती हुई ठण्डी हवायें कितना भी सूरा डालने पर शरीर को गरम नहीं कर पाती है। ऐसे में सवेरे सवेरे नहा धोकर भगवान सूर्य की पूजा करना तो अत्यन्त दुस्कर रहता है। वही पर भारतीय नव वर्ष में वातावरण अत्यन्त मनोहारी रहता है। केवल मनुष्य ही नहीं अपितु जड़ चेतना नर-नाग यक्ष रक्ष किन्नर-गन्धर्व, पशु-पक्षी लता, पादप, नदी नद, देवी देव व्यरष्टि से समष्टि तक सब प्रसन्न हो कर उस परम् शक्ति के स्वागत में सन्नध रहते है।

लेकिन यह इतना अधिक व्यापक था कि - आम आदमी इसे आसानी से नहीं समझ पाता था , खासकर पश्चिम जगत के अल्पज्ञानी तो बिल्कुल भी नहीं . किसी भी बिशेष दिन , त्यौहार आदि के बारे में जानकारी लेने के लिए विद्वान् ( पंडित ) के पास जाना पड़ता था . अलग अलग देशों के सम्राट और खगोल शास्त्री भी अपने अपने हिसाब से कैलेण्डर बनाने का प्रयास करते रहे .

इसके प्रचलन में आने के 57 बर्ष के बाद सम्राट आगस्तीन के समय में पश्चिमी कैलेण्डर ( ईस्वी सन ) विकसित हुआ . लेकिन उस में कुछ भी नया खोजने के बजाये , भारतीय कैलेंडर को लेकर सीधा और आसान बनाने का प्रयास किया था . प्रथ्वी द्वरा 365 / 366 में होने बाली सूर्य की परिक्रमा को बर्ष और इस अबधि में चंद्रमा द्वारा प्रथ्वी के लगभग 12 चक्कर को आधार मान कर कैलेण्डर तैयार किया और क्रम संख्या के आधार पर उनके नाम रख दिए गए . पहला महीना मार्च (एकम्बर) से नया साल प्रारम्भ होना था

1. - एकाम्बर ( 31 ) , 2. - दुयीआम्बर (30) , 3. - तिरियाम्बर (31) , 4. - चौथाम्बर (30) , 5.- पंचाम्बर (31) , 6.- षष्ठम्बर (30) , 7. - सेप्तम्बर (31) , 8.- ओक्टाम्बर (30) , 9.- नबम्बर (31) , 10.- दिसंबर ( 30 ) , 11.- ग्याराम्बर (31) , 12.- बारम्बर (30 / 29 ), निर्धारित किया गया . ( सेप्तम्बर में सप्त अर्थात सात , अक्तूबर में ओक्ट अर्थात आठ , नबम्बर में नव अर्थात नौ , दिसंबर में दस का उच्चारण महज इत्तेफाक नहीं है.

लेकिन फिर सम्राट आगस्तीन ने अपने जन्म माह का नाम अपने नाम पर आगस्त ( षष्ठम्बर को बदलकर) और भूतपूर्व महान सम्राट जुलियस के नाम पर - जुलाई (पंचाम्बर) रख दिया . इसी तरह कुछ अन्य महीनों के नाम भी बदल दिए गए . फिर बर्ष की शरुआत ईसा मसीह के जन्म के 6 दिन बाद (जन्म छठी) से प्रारम्भ माना गया . नाम भी बदल इस प्रकार कर दिए गए थे . जनवरी (31) , फरबरी (30 / 29 ), मार्च ( 31 ) , अप्रैल (30) , मई (31) , जून (30) , जुलाई (31) , अगस्त (30) , सेप्तम्बर (31) , अक्तूबर (30) , नबम्बर (31) , दिसंबर ( 30) , माना गया .

फिर अचानक सम्राट आगस्तीन को ये लगा कि - उसके नाम बाला महीना आगस्त छोटा (30 दिन) का हो गया है तो उसने जिद पकड़ ली कि - उसके नाम बाला महीना 31 दिन का होना चाहिए . राजहठ को देखते हुए खगोल शास्त्रीयों ने जुलाई के बाद अगस्त को भी 31 दिन का कर दिया और उसके बाद वाले सेप्तम्बर (30) , अक्तूबर (31) , नबम्बर (30) , दिसंबर ( 31) का कर दिया . एक दिन को एडजस्ट करने के लिए पहले से ही छोटे महीने फरवरी को और छोटा करके ( 28/29 ) कर दिया .

मेरा आप सभी भारतीयों से निवेदन है कि - नकली कैलेण्डर के अनुसार नए साल पर, फ़ालतू का हंगामा करने के बजाये , पूर्णरूप से वैज्ञानिक और भारतीय कलेंडर (विक्रम संवत) के अनुसार आने वाले नव बर्ष प्रतिपदा पर , समाज उपयोगी सेवाकार्य करते हुए नवबर्ष का स्वागत करें .....

શનિવાર, 28 ડિસેમ્બર, 2013

મુખ્ય પ્રાથમિક શિક્ષક ની (વર્ગ -3) જાહેરાત આજ આવી ગયેલ છે.

HTAT પાસ મિત્રો  જે ભરતી ની રાહ માં હતા તે , મુખ્ય પ્રાથમિક શિક્ષક ની (વર્ગ -3) જાહેરાત આજ આવી ગયેલ છે ..... કુલ 2513 જગ્યા સરકાર ભરવાની છે . માહિતી  અને અરજી કરવા માટે અહી કિલીક કરો.

ગુરુવાર, 26 ડિસેમ્બર, 2013

 

लहसुन सिर्फ खाने के स्वाद को ही नहीं बढ़ाता बल्कि शरीर के लिए एक औषधी की तरह भी काम करता है।इसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज, लवण और फॉस्फोरस, आयरन व विटामिन ए,बी व सी भी पाए जाते हैं। लहसुन शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है। भोजन में किसी भी तरह इसका सेवन करना शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है आज हम बताने जा रहे हैं आपको औषधिय गुण से भरपूर लहसुन के कुछ ऐसे ही नुस्खों के बारे में जो नीचे लिखी स्वास्थ्य समस्याओं में रामबाण है।
1-- 100 ग्राम सरसों के तेल में दो ग्राम (आधा चम्मच) अजवाइन के दाने और आठ-दस लहसुन की कुली डालकर धीमी-धीमी आंच पर पकाएं। जब लहसुन और अजवाइन काली हो जाए तब तेल उतारकर ठंडा कर छान लें और बोतल में भर दें। इस तेल को गुनगुना कर इसकी मालिश करने से हर प्रकार का बदन का दर्द दूर हो जाता है।
2-- लहसुन की एक कली छीलकर सुबह एक गिलास पानी से निगल लेने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहता है।साथ ही ब्लडप्रेशर भी कंट्रोल में रहता है।
3-- लहसुन डायबिटीज के रोगियों के लिए भी फायदेमंद होता है। यह शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में कारगर साबित होता है।
4-- खांसी और टीबी में लहसुन बेहद फायदेमंद है। लहसुन के रस की कुछ बूंदे रुई पर डालकर सूंघने से सर्दी ठीक हो जाती है।
5-- लहसुन दमा के इलाज में कारगर साबित होता है। 30 मिली लीटर दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है। अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है।
6-- लहसुन की दो कलियों को पीसकर उसमें और एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर मिला कर क्रीम बना ले इसे सिर्फ मुहांसों पर लगाएं। मुहांसे साफ हो जाएंगे।
7-- लहसुन की दो कलियां पीसकर एक गिलास दूध में उबाल लें और ठंडा करके सुबह शाम कुछ दिन पीएं दिल से संबंधित बीमारियों में आराम मिलता है।
8-- लहसुन के नियमित सेवन से पेट और भोजन की नली का कैंसर और स्तन कैंसर की सम्भावना कम हो जाती है।
9-- नियमित लहसुन खाने से ब्लडप्रेशर नियमित रहता है। एसीडिटी और गैस्टिक ट्रबल में भी इसका प्रयोग फायदेमंद होता है। दिल की बीमारियों के साथ यह तनाव को भी नियंत्रित करती है।
10-- लहसुन की 5 कलियों को थोड़ा पानी डालकर पीस लें और उसमें 10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह -शाम सेवन करें। इस उपाय को करने से सफेद बाल काले हो जाएंगे।
11- यदि रोज नियमित रूप से लहसुन की पाँच कलियाँ खाई जाएँ तो हृदय संबंधी रोग होने की संभावना में कमी आती है। इसको पीसकर त्वचा पर लेप करने से विषैले कीड़ों के काटने या डंक मारने से होने वाली जलन कम हो जाती है।
12- जुकाम और सर्दी में तो यह रामबाण की तरह काम करता है। पाँच साल तक के बच्चों में होने वाले प्रॉयमरी कॉम्प्लेक्स में यह बहुत फायदा करता है। लहसुन को दूध में उबालकर पिलाने से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। लहसुन की कलियों को आग में भून कर खिलाने से बच्चों की साँस चलने की तकलीफ पर काफी काबू पाया जा सकता है।
13- लहसुन गठिया और अन्य जोड़ों के रोग में भी लहसुन का सेवन बहुत ही लाभदायक है।
लहसुन की बदबू-
अगर आपको लहसुन की गंध पसंद नहीं है कारण मुंह से बदबू आती है। मगर लहसुन खाना भी जरूरी है तो रोजमर्रा के लिये आप लहसुन को छीलकर या पीसकर दही में मिलाकर खाये तो आपके मुंह से बदबू नहीं आयेगी। लहसुन खाने के बाद इसकी बदबू से बचना है तो जरा सा गुड़ और सूखा धनिया मिलाकर मुंह में डालकर चूसें कुछ देर तक, बदबू बिल्कुल निकल जायेगी।

टमाटर ....

Photo: चेहरे की रंगत बढाए टमाटर का जूस..आजमाईये जरूर

रोज सवेरे एक गिलास ताजे टमाटर का जूस तैयार करें, दो चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें और सिर्फ़ एक महिने के अंदर चेहरे की रंगत देखिए, आईना शरमा जाएगा l जानकार इसे वजन कम करने का एक अच्छा उपाय मानते है जबकि गुजरात के आदिवासी इसे यकृत और फ़ेफ़डों के लिए बेहतर टोनिक मानते है..आजमाईये जरूर, देसी ज्ञान है, असर सर चढकर बोलेगे..स्वस्थ रहें, मस्त रहें..चेहरे की रंगत बढाए टमाटर का जूस..आजमाईये जरूर

रोज सवेरे एक गिलास ताजे टमाटर का जूस तैयार करें, दो चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें और सिर्फ़ एक महिने के अंदर चेहरे की रंगत देखिए, आईना शरमा जाएगा l जानकार इसे वजन कम करने का एक अच्छा उपाय मानते है जबकि गुजरात के आदिवासी इसे यकृत और फ़ेफ़डों के लिए बेहतर टोनिक मानते है..आजमाईये जरूर, देसी ज्ञान है, असर सर चढकर बोलेगे..स्वस्थ रहें, मस्त रहें..

સોમવાર, 16 ડિસેમ્બર, 2013

केसर = Saffron

एक सुगंध देनेवाला पौधा है। इसके पुष्प की शुष्क कुक्षियों (stigma) को केसर, कुंकुम, जाफरान अथवा सैफ्रन (saffron) कहते हैं। यह इरिडेसी (Iridaceae) कुल की क्रोकस सैटाइवस (Crocus sativus) नामक क्षुद्र वनस्पति है जिसका मूल स्थान दक्षिण यूरोप है, यद्यपि इसकी खेती स्पेन, इटली, ग्रीस, तुर्किस्तान, ईरान, चीन तथा भारत में होती है। भारत में यह केवल जम्मू (किस्तवार) तथा कश्मीर (पामपुर) के सीमित क्षेत्रों में पैदा होती हैं। प्याज तुल्य इसकी गुटिकाएँ (bulb) प्रति वर्ष अगस्त-सितंबर में रोपी जाती हैं और अक्टूबर-दिसंबर तक इसके पत्र तथा पुष्प साथ निकलते हैं।
खाने मे स्वाद को तो बढ़ाता ही बल्कि कई प्रकार के रोगो को दूर करने मे सहायक होता है
-चन्दन को केसर के साथ घिसकर इसका लेप माथे पर लगाने से, सिर, नेत्र और मस्तिष्क को शीतलता, शान्ति और ऊर्जा मिलती है, नाक से रक्त गिरना बन्द हो जाता है और सिर दर्द दूर होता है।
-शिशु को सर्दी हो तो केसर की 1-2 पखड़ी 2-4 बूंद दूध के साथ अच्छी तरह घोंटें, ताकि केसर दूध में घुल-मिल जाए। इसे एक चम्मच दूध में मिलाकर सुबह-शाम पिलाएँ।
-माथे, नाक, छाती व पीठ पर लगाने के लिए केसर जायफल व लौंग का लेप (पानी में) बनाएँ और रात को सोते समय लेप करें।
-कृमि नष्ट करने के लिए केसर व कपूर आधी-आधी रत्ती खरल में डालकर 2-4 बूंद दूध टपकाकर घोंटें और एक चम्मच दूध में मिलाकर बच्चे को 2-3 दिन तक पिलाएं।
- बच्चों को बार-बार पतले दस्त लगने को अतिसार होना कहते हैं। बच्चों को पतले दस्त लगने पर केसर की 1-2 पँखुड़ी खरल में डालकर 2-3 बूंद पानी टपकाकर घोंटें।
-अलग पत्थर पर पानी के साथ जायफल, आम की गुठली, सौंठ और बच बराबर बार घिसें और इस लेप को केसर में मिला लें। इसे एक चम्मच पानी में मिलाकर शिशु को पिला दें। यह सुबह शाम दें।
- जाड़े के दिनों में दूध में केसर या एक चम्मच हल्दी का सेवन करने से भी रक्त साफ होता है।

Thinks Twice ....

आप भी अपने बच्चों को विदेशी कंपनियों द्वारा निर्मित Bournvita,Horlicks, Complan,Boost जैसे हेल्थ टोनिक पिला रहे हैं तो कृपया एक बार इसे अवश्य पढ़ें l


अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की एक रिपोर्ट के अनुसार जब Bournvita का प्रयोगशाला में परिक्षण किया गया तो पोषक तत्वों की मात्रा गुड-मूंगफली की पट्टी से भी कम पायी गयी तथा इसकी निर्माण सामग्री का आधार मूंगफली की खल को बताया गया l खल वह बचा कुचा कचरा है जो मूंगफली का तेल निकलने के बाद बचता है जिसे गांवों में जानवरों को खिलाया जाता है l

यदि आप दूध के साथ गुड-मूंगफली की एक पट्टी खाते हैं तो आपको उसमे इतना प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व मिलते हैं जितने 1 किलो Bournvita के डब्बे में नहीं मिल सकते l

और इस कचरे को यह विदेशी कंपनिया प्रचार के माध्यम से 250-300 प्रति किलो बेच रही हैं, जिनमें पोषक तत्वों की मात्रा नाम मात्र भी नहीं है l

ऐसा ही एक दूसरा उत्पाद है Horlicks यह कोई आसमान उतरा नया उत्पाद नहीं बल्कि ज़ों और चने का सत्तू ही है जिसे अंग्रेजी नाम के साथ बेचा जा रहा है और पढ़े लिखे मूर्ख लोग 35 रुपये किलो में उपलब्ध ज़ों-चने का सत्तू नहीं खरीदते बल्कि 200-250 अंग्रेजी नाम से बिक रहा सत्तू खरीद लाते हैं सिर्फ इसलिए क्योंकि सत्तू का प्रचार नहीं होता l

यह जितने भी हेल्थ टोनिक भारत में बिक रहे हैं, इन सबमें 1 केले के बराबर पोषक तत्व नहीं होते

यह इस देश का दुर्भाग्य है की हर साल भारत में 2000 करोड़ रुपये के हेल्थ टोनिक बिक जाते हैं जिनमे 2 पैसे के भी पोषक तत्व नहीं होते हैं l

શનિવાર, 14 ડિસેમ્બર, 2013

Geeta Jayanti....

ગીતા જયંતી ની શુભ કામના ..... શ્રી કૃષણ એ  આજે કુરુક્ષેત્ર ની રણ ભૂમિમાં શ્રી અર્જુન ને ગીતાનો પાવન બોધ  આપ્યોતો 

ગુરુવાર, 12 ડિસેમ્બર, 2013

ગોળ ખાવાના ફાયદા ...

ગોળ ખાવાના ફાયદા .

गुड़ का सेवन अधिकांश लोग ठंड में ही करते हैं वह भी थोड़ी मात्रा में इस सोच के साथ की ज्यादा गुड़ खाने से नुकसान होता है। इसकी प्रवृति गर्म होती है, लेकिन ये एक गलतफहमी है गुड़ हर मौसम में खाया जा सकता है और पुराना गुड़ हमेशा औषधि के रूप में काम करता है।आयुर्वेद संहिता के अनुसार यह शीघ्र पचने वाला, खून बढ़ाने वाला व भूख बढ़ाने वाला होता है। इसके अतिरिक्त गुड़ से बनी चीजों के खाने से बीमारियों में राहत मिलती है।

- गुड़ में सुक्रोज 59.7 प्रतिशत, ग्लूकोज 21.8 प्रतिशत, खनिज तरल 26प्रतिशत तथा जल अंश 8.86 प्रतिशत मौजूद होते हैं।इसके अलावा गुड़ में कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा और ताम्र तत्व भी अच्छी मात्रा में मिलते हैं। इसलिए चाहे हर मौसम में आप गुड़ खाना न पसन्द करें लेकिन ठंड में गुड़ जरूर खाएं।

- यह सेलेनियम के साथ एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है। गुड़ में मध्यम मात्रा में कैल्शियम, फॉस्फोरस व जस्ता पाया जाता है यही कारण है कि इसका रोजाना सेवन करने वालों का इम्युनिटी पॉवर बढ़ता है। गुड़ में मैग्नेशियम अधिक मात्रा में पाया जाता है इसलिए ये बॉडी को रिचार्ज करता है साथ ही इसे खाने से थकान भी दूर होती है।

- गुड़ और काले तिल के लड्डू खाने से सर्दी में अस्थमा परेशान नहीं करता है। रोजाना गुड़ का सेवन हाइब्लडप्रेशर को कंट्रोल करता है। जिन लोगों को खून की कमी हो उन्हें रोज थोड़ी मात्रा में गुड़ जरूर खाना चाहिए। इससे शरीर में हिमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है।

- गुड़ का हलवा खाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। शरीर से जहरीले तत्वों को बाहर निकालता है व सर्दियों में, यह शरीर के तापमान को विनियमित करने में मदद करता है। यह लड़कियों के मासिक धर्म को नियमित करने यह मददगार होता है।

- अगर आप गैस या एसिडिटी से परेशान हैं तो खाने के बाद थोड़ा गुड़ जरूर खाएं ऐसा करने से ये दोनों ही समस्याएं नहीं होती हैं। गुड़, सेंधा नमक, काला नमक मिलाकर चाटने से खट्टी डकारें आना बंद हो जाती हैं।

- ठंड में कई लोगों को कान के दर्द की समस्या होने लगती है। ऐसे में कान में सरसो का तेल डालने से व गुड़ और घी मिलाकर खाने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।

 

શુક્રવાર, 6 ડિસેમ્બર, 2013

Tribute to Dr B R Ambedkar on death anniversary

Dr. B.R. Ambedkar .

Dr. B.R. Ambedkar

 

 Born: April 14, 1891
Died: December 6, 1956
Achievements: Dr. B.R. Ambedkar was elected as the chairman of the drafting committee that was constituted by the Constituent Assembly to draft a constitution for the independent India; he was the first Law Minister of India; conferred Bharat Ratna in 1990.

Nelson Mandela.

We lost Second Gandhi , Great Man Nelson Mandela.
Alvida..... Alvida.....Mandelaji Alvida.

ગુરુવાર, 5 ડિસેમ્બર, 2013

पथरी

पथरी:

शरीर में अम्लता बढने से लवण जमा होने लगते है और जम कर पथरी बन जाते है . शुरुवात में कई दिनों तक मूत्र में जलन आदि होती है , जिस पर ध्यान ना देने से स्थिति बिगड़जाती है .

धूप में व तेज गर्मी में काम करने से व घूमने से उष्ण प्रकृति के पदार्थों के अति सेवन से मूत्राशय परगर्मी का प्रभाव हो जाता है, जिससे पेशाब में जलन होती है।
कभी-कभी जोर लगाने पर पेशाब होती है, पेशाब में भारी जलन होती है, ज्यादा जोर लगाने पर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पेशाब होती है। इस व्याधि को आयुर्वेद में मूत्र कृच्छ कहा जाता है। इसका उपचारहै-
उपचार : कलमी शोरा, बड़ी इलायची के दाने, मलाईरहित ठंडा दूध वपानी। कलमी शोरा व बड़ी इलायची के दाने महीन पीसकर दोनों चूर्ण समान मात्रा में लाकर मिलाकर शीशी में भर लें।एक भाग दूध व एक भाग ठंडा पानी मिलाकर फेंट लें, इसकी मात्रा 300 एमएल होनी चाहिए। एक चम्मच चूर्ण फांककर यह फेंटा हुआ दूध पी लें। यह पहली खुराक हुई। दूसरी खुराक दोपहर में व तीसरी खुराक शाम को लें।दोदिन तक यह प्रयोग करने से पेशाब की जलन दूर होती है व मुँह के छाले व पित्त सुधरता है। शीतकाल में दूध में कुनकुना पानी मिलाएँ।
- महर्षि सुश्रुत के अनुसार सात दिन तक गौदुग्ध के साथ गोक्षुर पंचांग का सेवन कराने में पथरीटूट-टूट कर शरीर से बाहर चली जाती है । मूत्र के साथ यदि रक्त स्राव भी हो तो गोक्षुर चूर्ण को दूध में उबाल कर मिश्री के साथ पिलाते हैं ।
- गोमूत्र के सेवन सेभी पथरी टूट कर निकल जाती है .
- मूत्र रोग संबंधी सभी शिकायतों यथा प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब का अपने आप निकलना (युरीनरी इनकाण्टीनेन्स), नपुंसकता, मूत्राशय की पुरानी सूजन आदि में गोखरू 10 ग्राम, जल 150 ग्राम, दूध 250ग्राम को पकाकर आधा रह जाने पर छानकर नित्य पिलाने से मूत्र मार्ग की सारीविकृतियाँ दूर होती हैं ।
- गिलास अनन्नास का रस, १ चम्मच मिश्री डालकर भोजन से पूर्वलेने से पिशाब खुलकरआता है और पिशाब सम्बन्धी अन्य समस्याए दूर होती है|
- खूब पानी पिए .
- कपालभाती प्राणायाम करें .
- हरी सब्जियां , टमाटर , काली चाय,चॉकलेट , अंगूर , बीन्स , नमक , एंटासिड , विटामिन डी सप्लीमेंट कम ले .
- रोजाना विटामिन बी-६ (कम से कम १० मि.ग्रा. ) और मैग्नेशियम ले .
- यवक्षार ( जौ की भस्म ) का सेवन करें .
- मूली और उसकी हरी पत्तियों के साथ सब्जी का सुबह सेवन करें .
- ६ ग्राम पपीते को जड़ को पीसकर ५० ग्राम पानी मिलकर २१दिन तक प्रातः और सायं पीने से पथरी गल जाती है।
- पतंजलि का दिव्य वृक्कदोष हर क्वाथ १० ग्राम ले कर डेढ़ ग्लास पानी में उबाले .चौथाई शेष रह जाने पर सुबह खाली पेट और दोपहर के भोजन के ५-६ घंटे बादले .इसके साथ अश्मरिहर रस के सेवनसे लाभ होगा . जिन्हें बार बार पथरी बनाने की प्रवृत्ति है उन्हें यह कुछ समय तक लेना चाहिए .
- मेहंदी की छाल को उबाल कर पीने से पथरी घुल जाती है .
- नारियल का पानी पीने से पथरी में फायदा होता है। पथरीहोने पर नारियल का पानी पीना चाहिए।
- 15 दाने बडी इलायची के एक चम्मच, खरबूजे के बीज की गिरी और दोचम्मच मिश्री, एक कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम दो बार पीने से पथरी निकल जाती है।
- पका हुआ जामुन पथरीसे निजात दिलाने मेंबहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पथरी होने पर पका हुआ जामुन खाना चाहिए।
- बथुआ की सब्जी खाए .
- आंवला भी पथरी में बहुत फायदा करता है।आंवला का चूर्ण मूलीके साथ खाने से मूत्राशय की पथरी निकल जाती है।
- जीरे और चीनी को समान मात्रा में पीसकर एक-एक चम्मच ठंडे पानी से रोज तीन बार लेने से लाभ होता है और पथरी निकल जाती है।
- सहजन की सब्जी खानेसे गुर्दे की पथरी टूटकर बाहर निकल जाती है। आम के पत्ते छांव में सुखाकर बहुत बारीक पीस लें और आठ ग्राम रोज पानी के साथ लीजिए, फायदा होगा ।
- मिश्री, सौंफ, सूखा धनिया लेकर 50-50 ग्राम मात्रा में लेकर डेढ लीटर पानी में रात को भिगोकर रख दीजिए। अगली शाम को इनको पानी से छानकर पीस लीजिए और पानी में मिलाकर एक घोल बना लीजिए, इस घोल को पी‍जिए। पथरीनिकल जाएगी।
- चाय, कॉफी व अन्य पेय पदार्थ जिसमें कैफीन पाया जाता है, उन पेय पदार्थों का सेवन बिलकुल मत कीजिए।
- तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फ़ंसी पथरी निकल जाती है।
- जीरे को मिश्री की चासनी अथवा शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।
- बेल पत्थर को पर जरा सा पानी मिलाकर घिस लें, इसमें एक साबुत काली मिर्च डालकर सुबह काली मिर्च खाएं। दूसरे दिन काली मिर्च दो कर दें और तीसरे दिन तीन ऐसे सात काली मिर्च तक पहुंचे।आठवें दिन से काली मिर्च की संख्या घटानी शुरू कर दें और फिर एक तक आ जाएं। दो सप्ताह के इस प्रयोग से पथरी समाप्त हो जातीहै। याद रखें एक बेल पत्थर दो से तीन दिन तक चलेगा

શનિવાર, 30 નવેમ્બર, 2013

Run For Unity

"RUN FOR UNITY" કાર્યક્રમ અંગે ઓનલાઈન રજીસ્ટેશન

સરદાર વલ્લભભાઈ પટેલ દ્વારા દેશની અખંડીતતા માટે 562 રજવાડાઓનો એકીકરણ કરવાનું ભગીરથ કાર્ય સફળતા પૂર્વક પાર પાડવામાં આવેલ. આ બેનમુન કાર્યના સંદર્ભે સરદાર પટેલના 182 મિટર ઉંચાઈ ધરાવતા વિશ્વમાં ઉંચામાં ઉંચા સ્ટેચ્યુની કેવડીયા ખાતે નર્મદાના સાધુબેટ ખાતે સ્થાપવાનું રાજ્ય સરકારે આયોજન કરેલ છે અને આ કાર્યક્રમની ઉજવણી સુરેન્દ્રનગર શહેરમાં 15 મી ડીસેમ્બર 2013 ના રોજ કરવાની રહે છે. તે સંદર્ભે સુરેન્દ્રનગર શહેરમાં "RUN FOR UNITY" કાર્યક્રમનું આયોજન કરવાનું સરકારશ્રીએ નક્કી કરેલ છે. આ કાર્યક્રમ અંગે ઓનલાઈન રજીસ્ટેશન  www.runforunity.com ઉપર કરવાનું થાય છે. રજીસ્ટેશન માટે અહી કિલીક કરો। .. www.runforunity.com